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Employees News – इन गलतीयों के कारण कर्मचारियों की सैलरी में से कटता है पैसा, आइए बताते है…

SB News Digital Desk,नई दिल्ली:  Employees News – इन गलतीयों के कारण कर्मचारियों की सैलरी में से कटता है पैसा, आइए बताते है…,अगर आप कर्मचारी है तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल आज हम आपको अपनी इस खबर में कर्मचारियों की सैलरी में से किन चीजों को पैसा कटता है ये बताने जा रहे है.. अगर आप भी नहीं जानते है तो इस खबर को जरूर पढ़ लीजिए।

सैलरीड क्‍लास शख्‍स को महीने के आखिर में अपनी सैलरी का बेसब्री से इंतजार रहता है. अक्‍सर यह होता है कि जैसे ही आपकी सैलरी का बैंक अकाउंट में क्रेडिट होने का मैसेज आता है, आपको पता चलता है कि सैलरी कम आई है. साथ ही आप इस सवाल का जवाब तलाशने लगते हैं कि आखिर सैलरी कहां कटी है. दरअसल, सैलरी में डिडक्‍शन को लेकर कई बाते हैं, जिनका हमें ध्‍यान रखना चाहिए.

टैक्‍स एक्‍सपर्ट CA मनीष गुप्‍ता का कहना है कि हर इम्‍प्‍लाई को अपनी सैलरी स्लिप हर महीने ध्यान से चेक करनी चाहिए. इसमें देखना जरूरी है कि सैलरी में से कौन-कौन सी कटौती हो रही है. इम्‍प्‍लॉई यह जांच लें कि सिर्फ वही पैसे काटे जा रहे हैं जिनका काटा जाना तय हुआ है. कहीं कोई गलत डिडक्शन तो नहीं हो रही है. आइए सीए गुप्‍ता से समझते हैं कहां-कहां सैलरी में से डिडक्‍शन होता है और हमें क्‍या-क्‍या ध्‍यान रखना चाहिए.

 प्रोविडेंट फंड (PF) की कटौती इम्‍प्‍लॉइज कर्मचारियों की सबसे प्रमुख कटौती है. यह इम्‍प्‍लॉई की बेसिक सैलरी का 8.33% होती है. कर्मचारी अपने PF का कैलकुलेशन करे और देखें कि पीएफ की कटौती नियमानुसार की गई है और साथ में यह भी जांच लें कि सैलरी स्लिप में आपके पीएफ का UAN नंबर सही दर्ज है. इम्‍प्‍लॉई को यह भी पता कर लेना चाहिए कि उसका एम्‍प्‍लॉयर PF अधिनियम के तहत रजिस्‍टर्ड है या नहीं. अगर संस्थान रजिस्‍टर्ड नहीं है तो PF की कटौती गैरकानूनी है और कर्मचारी की सैलरी में से की गई कटौती का लाभ उसे मिलने वाला नहीं है.

यह भी जानना चाहिए कि एम्‍प्‍लॉयर इम्‍प्‍लॉई का पीएफ काटने के अलावा खुद का कंट्रीब्‍यूशन जोड़कर दोनों जमा कर रहा है और PF की मंथली और सालाना रिटर्न दाखिल की जा रही है. अगर किसी इम्‍प्‍लॉई ने वॉलेंटरी कोई कंट्रीब्‍यूशन या डोनेशन देने के लिए अधिकृत किया है तो वह पैसा भी इम्‍प्‍लॉई की सैलरी में से कट सकता है. इसकी डिटेल उसे सैलरी स्लिप में अवश्य देना होगी. कई बार ऐसा देखा गया है कि इम्‍प्‍लॉई अपने एम्‍प्‍लॉयर को यह निवेदन करते हैं कि उसका PF ज्यादा काट लिया जाए ताकि उनके पीएफ में अधिक पैसा जमा हो. अगर ऐसा है तो इम्‍प्‍लॉई का कंट्रीब्‍यूशन ज्यादा कट रहा होगा तो वह अपनी सैलरी स्लिप में जरूर जांच ले. 

 सैलरी में दूसरी मुख्य कटौती ईएसआई की है. इस कटौती में कुल सैलरी का 1.75% काटा जाता है और एम्‍प्‍लॉयर का कंट्रीब्‍यूशन मिलाकर कर्मचारी राज्‍य बीमा विभाग में चालान के जरिए जमा कर दिया जाना चाहिए. इम्‍प्‍लॉई अपनी सैलरी स्लिप में ईएसआई का नंबर भी देख ले और अपने अकाउंट नंबर से कंफर्म करें. कर्मचारी को यह भी पता कर लेना चाहिए कि उसका नियोक्ता ESI अधिनियम के तहत रजिस्‍टर्ड है या नहीं. अगर संस्थान रजिस्‍टर्ड नहीं है तो ESI की कटौती गैरकानूनी है. 

 जिन कर्मचारियों की सैलरी से आय इनकम टैक्स एक्‍ट की टैक्‍सेशन लिमिट अधिक है तो उसके एम्‍प्‍लॉयर यानी कंपनी को अपने इम्‍प्‍लॉई के वेतन में से इनकम टैक्‍स एक्‍ट की धारा 192  के अंतर्गत टीडीएस काटना जरूरी है. कर्मचारी चाहे तो इसकी कैलकुलेशन शीट अपनी कंपनी से हासिल कर सकता है. कंपनी को ऐसा प्रयास करना चाहिए कि उसके कर्मचारियों पर टीडीएस समान रूप से पड़े. वहीं, कर्मचारी की जिम्मेदारी है कि अपने नियोक्ता के टैक्सेशन विभाग में जाकर यह जांच लें कि उनका पूरे साल का टीडीएस कितना कट रहा है तो हर महीने कितनी कटौती होनी चाहिए.

साथ ही वह हर महीने जो टीडीएस कट रहा है उसको कंपनी से मिली कैलकुलेशन शीट से मिलान कर ले. इसमें यह भी देखना चाहिए कि परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) सैलरी स्लिप में ठीक से दर्ज है या नहीं. कर्मचारी अगर चाहे तो इनकम टैक्स की कैलकुलेशन की स्वयं जांच कर लें और यह देख ले की इनकम टैक्स सही तरह से कट रहा है या नहीं. कर्मचारी अगर चाहे तो उनकी अन्य अपने दूसरी इनकम की जानकारी कंपनी को देते हुए अधिक टीडीएस कटवा सकते हैं. ऐसे में कर्मचारी को अपनी सैलरी स्लिप से ऐसे अधिक कटे हुए जीडीएस का मिलान कर लेना चाहिए.

अगर कर्मचारी ने अपनी कंपनी से किसी भी तरह का चाहे पर्सनल, एजुकेशन, मैरेज, कार या मकान आदि के लिए लोन ले रखा है, तो उसके लोन एग्रीमेंट के आधार पर उस लोन की मासिक किस्‍त यानी ईएमआई और ब्याज (अगर कोई हो) का पैसा आपकी सैलरी में से काटा जा सकता है.  कर्मचारी की सैलरी स्लिप में इसका जिक्र होना चाहिए और कर्मचारी को काटने वाली रकम की जानकारी होनी चाहिए ताकि वह इसका मिलान अपने लोन अकाउंट के स्टेटमेंट से कर सकता है और अपने लोन का स्‍टेटस जांच सकता है. 

 अगर किसी कर्मचारी अपनी कंपनी के ऑफिसियल काम को करने के लिए या फिर काम के लिए रिजर्व रखने के लिए कोई रकम बतौर इंप्रेस्ट ले लेता और काम होने के बाद कंपनी पॉलिसी के अनुसार बचा हुआ पैसा नहीं लौटाया है और हिसाब बराबर नहीं किया है और पैसा देय है तो बचा हुआ पैसा सैलरी से काटा जा सकता है. इस बात की पूरी डिटेल सैलरी स्लिप में दी जानी चाहिए. 

अचानक पैसे की जरूरत पड़ने पर अगर कोई कर्मचारी अपनी कंपनी से एडवांस में लेता तो उस समय कंपनी व कर्मचारी के बीच में एक नियम तय किया जाता है कि इसकी डिडक्शन कैसे और कितनी होगी. कर्मचारी को इसकी जानकारी होनी चाहिए क्योंकि यह एडवांस सैलरी में से काट लिया जाएगा. इसके लिए सैलरी स्लिप को अच्‍छी तरह से देखने की जरूरत है. 

 कई बार नियम से अधिक छुट्टियां लेने पर काम पर न पहुंचने पर या फिर देरी से पहुंचने पर कंपनी की एचआर पॉलिसी के आधार पर वेतन में उतने दिनों की कटौती की जा सकती है और सैलरी स्लिप में इसका जिक्र रहेगा.

अगर किसी कर्मचारी का डिमोशन किया गया और और सैलरी पे में कमी की गई है या फिर लॉक डाउन या फिर मौजूदा समय में अगर कोविड महामारी की वजह सैलरी कम दी गई है तो उसकी कटौती किस हिसाब से की गई है, इसका जिक्र भी सैलरी स्लिप में बताया जाएगा. 

अगर किसी कर्मचारी ने कोई नुकसान किया है और उस पर कोई पेनल्‍टी लगाई गई है तो या उससे कोई डैमेज वसूल करनी है तो इस मामले में कंपनी की पॉलिसी के मुताबिक सैलरी से कटौती हो सकती है. इसकी डिटेल सैलरी में होनी चाहिए. 

 कुछ राज्यों में हर वह कर्मचारी का प्रोफेशनल टैक्स काटा जाना तय किया गया है जो उस कानून के मुताबिक एलिजिबल हों. ऐसे में प्रोफेशनल टैक्स डिडक्शन नियमानुसार है या नहीं यह चेक करने की जरूरत है. साथ ही वह पैसा कंपनी कर्मचारी की सैलरी में से काट सकती है और इसका जिक्र सैलरी स्लिप में अवश्य होना चाहिए.

 अगर कर्मचारी ने कंपनी की किसी स्कीम का कॉन्‍ट्रैक्‍ट के आधार पर तय अमाउंट काटने के लिए कंपनी को अथराइज्‍ड किया है तो यह कटाौती आपकी सैलरी से हो सकती है. 

अगर कर्मचारी ने कंपनी से कोई एसेट या मकान सस्‍ती दर या या किराये पर लिया है और उस पर जो भी किराया कंपनी और कर्मचारी के बीच एक समझौते के तहत लगाया जा सकता है, उसकी कटौती सैलरी से हो सकती है. कंपनी के प्रोडक्‍ट या सर्विसेज पर्सनल या परिवार के लिए इस्तेमाल की कई बार कंपनी कर्मचारियों को इस्‍तेमाल की मंजूरी देती है. इसकी एवज में एक तय चार्ज देना होता है. जैसेकि कंपनी के होटलों में ठहरना, कंपनी के उत्पादों को इस्तेमाल करना आदि इसका नियमानुसार तयशुदा रकम ना चुकाने पर कंपनी उस पैसे को उनकी सैलरी में से काटा जा सकता है और यह पैसा उनकी सैलरी स्लिप में दर्शाया जाना चाहिए. अगर कर्मचारी ने संस्थान से कोई प्रोडक्‍ट खरीदा है या फिर कही शॉपिंग की है और उसकी पेमेंट अगर कंपनी ने की है तो यह पैसा कर्मचारी से वसूला जा सकता है.  

 अगर किसी कर्मचारी को बोनस या ओवर टाइम मिलता है तो वह उसकी जांच कर ले कि  क्या वह नियमानुसार पूरा मिला है या इसमें से भी कोई कटौती कर ली है. कर्मचारियों को समय-समय पर अपनी कंपनी से अपना लेजर अकाउंट  लेते रहना चाहिए. फिर चाहे वह एडवांस, लोन इंटरेस्ट, हो या कोई और हो .  यह कर्मचारी का अपना अकाउंट है  और उसी की जिम्मेदारी है. इसलिए इसका मिलान करते रहना चाहिए ताकि वह जांच ले कि जो समय-समय पर उसको कितनी रकम डेबिट और क्रेडिट की गई है. सैलरी स्लिप में इसकी डिटेल होती है. अगर आपकी सैलरी में कोई बढ़ोतरी हुई है या कटौती की गई है तो उसका भी आनुपातिक रूप से असर इनके टैक्स, पीएफ और ईएसआई डिडक्शन पर पड़ेगा. ऐसे में  आपको अपनी सैलरी स्लिप की जांच करते समय यह भी देख लेना चाहिए.  

 एक बात जरूर जानना चाहिए कि किसी भी कर्मचारी को इस बात की चिंता किए बिना कि उसके संस्थान का PF या ESI में रजिस्ट्रेशन है या नहीं है उसको अपनी सैलरी स्लिप जरूर लेनी चाहिए. अगल-अलग कानूनों में रजिस्‍टर्ड हो या न हो सैलरी स्लिप मिलना हर कर्मचारी का अधिकार है. दरअसल, सैलरी स्लिप में आपने एक प्रकार का वर्क सर्टिफिकेट है और कर्मचारी की मंथली अटेनडेंस का रिकॉर्ड भी है. इसके अलावा, कई तरह लोन लेने में लोन देने वाली कंपनी छह महीने की सैलरी स्लिप की मांग करती है. इसलिए यह समझ लिया जाए कि सैलरीड कर्मचारियों के लिए सैलरी स्लिप एक बेहद अहम डॉक्‍यूमेंट है. हां, इसका ध्‍यान रखें कि सैलरी स्लिप हस्तलिखित नहीं होनी चाहिए और अथराइज्‍ड अधिकारी द्वारा या कम्प्यूटरीकृत हस्ताक्षरित होनी चाहिए और उस पर संस्थान की मुहर भी लगी होनी चाहिए. 

 

Written by jobsindi-admin

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